Wednesday, December 3, 2008

प्लीज मुझे बचा लो मैं मरना नहीं चाहता

जब दूसरों की जान से खेलने वाले की अपनी जान पर बन आती है तो वह यही कहता है "प्लीज मुझे बचा लो। मैं मरना नहीं चाहता।" यही शब्द जिंदा पकड़े जाने वाले आतंकवादी के भी थे। अपनी जान बख्श देने की मिन्नत करते वक्त जरूर उसके जेहन में कहीं न कहीं रहा होगा कि ये लोग तो भारतीय हैं। सभी पर दया करने वाले। इन्हें तो हमेशा " अहिंसा परमो धर्मः" ही याद रहता है। पर उसे क्या पता कि गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह उपदेश भी दिया है कि "जो तुझे मारे तू उसे मार!"

इन आतंकवादियों को तो यही लगता है कि "उनका खून खून है और दूसरों का पानी।"

अब उसे बचाया तो जरूर गया है किन्तु दया करके नहीं बल्कि कूटनीति के जन्मदाता चाणक्य की दी गई शिक्षाओं पर अमल करने के लिये। यह पता करने के लिये कि 170 से भी अधिक लोगों, जिनमें 40 मुस्लिम तथा 10 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, की जान से खेलने वालों के सहायकों में पाकिस्तानी सरकार भी है या नहीं या फिर पाकिस्तान, जैसा कि वह कहता है, वाकइ में निर्दोष है। और यदि पाकिस्तान उनके सहायकों में से है तो अब अपनी गलती को सुधारने के लिये अपराधियों को भारत के हवाले करता है या नहीं।

1 comment:

Gyan Dutt Pandey said...

यदि पाकिस्तान उनके सहायकों में से है तो अब अपनी गलती को सुधारने के लिये अपराधियों को भारत के हवाले करता है या नहीं।
-----
यह बहुत वाजिब सवाल है।