Saturday, November 21, 2009

वाह रे माया सभ्यता! खुद के मरने खपने की तो खबर नहीं थी और पृथ्वी के अंत का भविष्यवाणी कर गये ...

बहुत जोरदार बहस छिड़ी हुई है अंग्रेजी इंटरनेट जगत में। इस बहस का विषय है एक कथित भविष्यवाणी जिसके अनुसार सन् 2012 में महाविनाश हो जाने वाला है, नामोनिशान मिट जायेगा इस धरती का। भविष्यवाणी के अनुसार 21 दिसंबर 2012 को एक क्षुद्र ग्रह धरती से टकराएगा। परिणामस्वरूप भयानक भूकंप आयेंगे, ज्वालामुखी फटेगी, सुनामी जैसी आपदा आयेगी और भी न जाने क्या क्या होंगे। इतना व्यापक विनाश होगा कि भूमण्डल से जीवन समाप्तप्राय हो जायेगा।

इस धारणा के कारण

मुख्य कारण है माया (या मायान) कैलेंडर! करीब 250 से 900 ईसा पूर्व माया नामक एक प्राचीन सभ्यता स्थापित थी। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं। ऐसी मान्यता है कि माया सभ्यता के काल में गणित और खगोल के क्षेत्र उल्लेखनीय विकास हुआ था। अपने ज्ञान के आधार पर माया लोगों ने एक कैलेंडर बनाया था। कहा जाता है कि उनके द्वारा बनाया गया कैलेंडर इतना सटीक निकला है कि आज के सुपर कम्प्यूटर भी उसकी गणनाओं में 0.06 तक का ही फर्क निकाल सके और माया कैलेंडर के अनेक आकलन, जिनकी गणना हजारों सालों पहले की गई थी, सही साबित हुए हैं। माया सभ्यता के लोगों की मान्यता थी कि जब उनके कैलेंडर की तारीखें खत्म होती हैं, तो धरती पर प्रलय आता है और नए युग की शुरुआत होती है और अवशेष में प्राप्त माया कैलेंडर की अन्तिम तारीख 21 दिसंबर 2012 है। इसीलिये माना जा रहा है कि 21 दिसंबर 2012 को पृथ्वी का विनाश हो जायेगा। फ्रांसीसी भविष्यवक्ता माइकल द नास्त्रेदम्स की 2012 में धरती के खत्म होने की एक भविष्यवाणी इस धारणा को और भी बलवती बना रही है।

इंटरनेट पर एक चर्चा यह भी है कुछ तथाकथित वैज्ञानिकों के अनुसार प्लेनेट एक्स निबिरू नामक एक ग्रह दिसंबर 2012 में धरती के अत्यन्त निकट से गुजरेगा और पृथ्वी से उसके टकरा जाने की बहुत अधिक सम्भावना है। यह टक्कर ठीक उसी प्रकार की टक्कर होगी जिसने पृथ्वी से डायनासॉर का नामोनिशान मिटा दिया था। यह भी कहा जा रहा है कि 2012 में सूर्य हमारी आकाशगंगा (मिल्की-वे) के ठीक मध्य से अलाइन करेगा। ऐसा 26 हजार साल में पहली बार होगा। फलस्वरूप बेइंतिहा ऊर्जा उत्पन्न होगी जिससे धरती अपनी धुरी से भी हट सकती है।

हॉलीवुड में तो 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की लागत वाली 2012 नामक फिल्म भी बन गई। रोनाल्ड एमरिच द्वारा निर्देशित यह फिल्म 13 नवम्बर को दुनियाभर में एक साथ रिलीज भी कर दी गई हैं और अब बेतहाशा बिजनेस कर रही है।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक इस बारे में

दुनिया भर के वैज्ञानिक इस धारणा को मात्र कपोल कल्पना ही मान रहे हैं। वे 2012 में किसी क्षुद्र ग्रह के पृथ्वी से टकराने की आशंका से भी इनकार कर रहे हैं। नासा को भी इस प्रकार की किसी घटना घटने का विश्वास नहीं है। नासा के प्रमुख वैज्ञानिक और 'आस्क द एस्ट्रोबायलॉजिस्ट' के चीफ डॉ. डेविड मॉरिसन का कहना है कि प्लेनेट एक्स निबिरू नामक किसी ग्रह, जिसके 2012 दिसंबर को पृथ्वी से टकराने की बात की जा रही है, का कोई अस्तित्व ही नहीं है।

हमारा भी यही तर्क है कि यदि माया सभ्यता के लोगों को पृथ्वी के विनाश के विषय में ज्ञात था तो उन्हें स्वयं अपनी सभ्यता के नष्ट होने के विषय में क्यों किसी प्रकार जानकारी नहीं थी?


चलते-चलते

काल करे सो आज कर आज करे सो अब्ब।
पल में परलय होयगी बहुर करेगा कब्ब॥

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वालि-राम संवाद - किष्किन्धाकाण्ड (5)

Friday, November 20, 2009

जनाब मोहम्मद उमर कैरानवी, ये है जवाब तुम्हारी टिप्पणी का!

चर्चा पान की दुकान पर बलॉग में हमारे पोस्ट "हिन्दू विवाह याने कि पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध" में हमने तुम या तुम्हारे धर्म के विरुद्ध कुछ भी नहीं लिखा है फिर भी तुमने निम्न टिप्पणी कीः


Mohammed Umar Kairanvi November 19, 2009 4:44 PM

मि. अवधिया कभी बैंक से छुटटी लेके अदालतों में गए हो, वहां पता लगेगा इतना अटूट संबंध होना कितना दुख देता है, बहुत कुछ कह सकता हूं, चेतावनी और सांकल देखने आया था, दूसरे धर्म का नाम लिए बिना अपनी बात कह सकते हो तो कह लो अन्‍यथा ब्लागजगत जाने है, एक ही अपनी तरह का पागल है, 3 हफते से अधिक कभी नहीं लगते यह आप अच्‍छी तरह जानो हो किसमें, जो जवाब ही नहीं देता सवाल को ही हमेशा के लिए समाप्‍त कर देता है

पान की दुकान पर अपना बहुत पैसा बर्बाद होता है, इस पर तो सांकल भी नहीं लगी, समझ गये होंगे
तुमने जिस धमकी वाली भाषा में टिप्पणी की है उसकी वजह से हमें मजबूर होना पड़ा है तुम्हारी ही तरह की भाषा का प्रयोग करते हुए तुम्हारी टिप्पणी का जवाब देने के लिये। ब्लॉगजगत क्या जाने हैं और क्या नहीं जाने हैं यह हम भी जानते हैं और तुमसे ज्यादा अच्छी तरह से जानते हैं। हमें तुमसे सीखने की जरूरत नहीं है। दूसरे धर्म का नाम हम लें या न लें यह हमारी मर्जी की बात है, जो हमारी मर्जी होगी हम वही करेंगे। अगर तुम समझते हो कि तुम अपनी तरह के एक ही पागल हो तो यह भी जान लो कि हम भी अपनी तरह के एक ही सठियाये हुए बुड्ढे हैं। पागलों के डॉक्टर हैं हम! तुम जैसे कितने ही पागलों को ठीक कर दिया है।

मि. कैरानवी! हम शान्तिप्रिय लोग हैं, अमन-चैन बनाये रखना अपना फर्ज समझते हैं। पर तुम यह समझने की भूल मत कर बैठना कि गांधी की तरह से हम एक गाल पर थप्पड़ मारने वाले को अपना दूसरा गाल दिखाने वाले लोग हैं। हम तो थप्पड़ मारने के लिये उठने वाले हाथ को, हमारे गाल तक पहुँचने के पहले, ही तोड़ देने वाले लोग हैं। हम किसी से जानबूझ कर उलझते नहीं पर यदि कोई हमसे जबरन उलझने की कोशिश करे तो हम उसकी इस कोशिश का मुँहतोड़ जवाब देना भी जानते हैं।हम दोस्तों पर जान छिड़क सकते हैं तो दुश्मनों के छक्के भी छुड़ा सकते हैं। तुमने सिर्फ हमारी दोस्ती देखी है, दुश्मनी नहीं देखी। दुश्मनों के पेंदे पर लात जमाना और उन्हें जुतियाना हमें हमें अच्छी तरह से आता है। और हम निहायत ही जुदा किस्म से जुतियाते हैं, गिन कर पूरे सौ जूते लगाने का हमारा नियम है पर गुस्से में अन्ठानबे तक गिनते-गिनते गिनती ही भूल जाते हैं और हमें फिर से एक दो से गिनती शुरू करनी पड़ती है।

हिन्दी ब्लॉगजगत में अपना आतंकवाद फैलाने की अपनी जुर्रत बंद कर दो। हम किसी भी धर्म की बुराई नहीं करते किन्तु तुम्हारी धमकी की वजह से अपने धर्म के विषय में कहने सुनने से भी अपने आप को नहीं रोक सकते। तुम्हारा आतंक यहाँ नहीं चलने वाला है। ये ब्लॉग जगत है। यहाँ तुम लोगों को सपोर्ट करने वाला न तो कोई राजनीतिबाज है और न ही यहाँ कोई सेक्युलरिज्म है।

तुम जैसे दो चार सिरफिरे लोगों की वजह से हम अपने समस्त मुसलमान दोस्तों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाना चाहते। हमारे मुसलमान भाई भी अच्छी तरह से समझते हैं कि ये जवाब सिर्फ तुम्हारे और तुम्हारे जैसे चंद और सिरफिरे लोगों के लिये ही है।

जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे इसलिये प्रेम प्यार ही बोने की कोशिश करो, नफ़रत फैलाने की कोशिश मत करो। प्यार के बदले में प्यार मिलता है और नफ़रत के बदले में नफ़रत ही मिलती है।

उम्मीद है कि आगे से किसी के भी किसी पोस्ट पर इस प्रकार की धमकी भरी टिप्पणी करना बंद कर दोगे। और नहीं, तो तुम जैसे लोगों के लिये हम और अलबेला जी ही काफी हैं।

Thursday, November 19, 2009

गूगल सर्च इंजिन का विशिष्ट प्रयोग कैसे करें?

किलोमीटर को मील में बदलने के लिये:
सर्च बॉक्स में इस प्रकार से टाइप करें - 10 km in mile

फैरनहीट को सेल्सियश में बदलने के लिये:
सर्च बॉक्स में इस प्रकार से टाइप करें - 25F to C

इंच को सेंटीमीटर में बदलने के लिये:
सर्च बॉक्स में इस प्रकार से टाइप करें - 5 inch in cm

किसी स्थान का समय जानने के लियेः
सर्च बॉक्स में इस प्रकार से टाइप करें - what time is it Raipur

दो देशों की करेंसी की तुलना करने के लियेः
सर्च बॉक्स में इस प्रकार से टाइप करें - 30 usd in inr

मौसम का विवरण जानने के लियेः
सर्च बॉक्स में इस प्रकार से टाइप करें - Raipur weather

फ्लाइट स्टेटस पता करने के लियेः
सर्च बॉक्स में इस प्रकार से टाइप करें - name of airlinne flight number

केलकुलेटर के तौर पर प्रयोग करने के लिये
सर्च बॉक्स में कोई भी गणितीय एक्सप्रेसन टाइप करें जैसे कि - 5*23 + 3*44 - 87

[गूगल सर्च इंजन जोड़ (+), घटाना (-), गुणा (*), भाग (/), घात (^), और वर्गमूल (sqrt) की गणना कर सकता है।]

परिभाषाएँ जानने के लियेः
सर्च बॉक्स में इस प्रकार से टाइप करें - define: website


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राम-सुग्रीव वार्तालाप - किष्किन्धाकाण्ड (3)

Wednesday, November 18, 2009

करो काम केलकुलेटर से पर ज्ञान को अपने मत भूलो

आधुनिक टेक्नोलॉजी ने हमें बहुत फायदा पहुँचाया है। घंटों में होने वाले कार्य अब मिनटों में होने लगे हैं। पर क्या हम अपने ज्ञान को लुप्त भी होने नहीं दे रहे हैं? मैं देखता हूँ कि आज किसी को यदि दो छोटी संख्याओं जैसे कि 12 और 10 को जोड़ना है तो वह तत्काल केलकुलेटर उठा लेता है। बचपन में हम ऐसे जोड़ को मनगणित कहा करते थे और मन ही मन इसे जोड़कर तत्काल उत्तर बता देते थे। मनगणित का बाकायदा पीरियड हुआ करता था जिसमें मनगणित के सिद्धांत बताया जाता था। हमें बताया जाता था कि यदि 48 और 47 को जोड़ना है तो, चूँकि ये दोनों संख्याएँ 50 की नजदीकी हैं इसलिये, पहले 50 और 50 को जोड़ो और फिर योग 100 में (50 - 48) + (50 - 47) याने कि 2 + 3 = 5 को घटा कर उत्तर 95 बता दो। इसी प्रकार के मनगणित तथा व्यवहार गणित के अनेक सिद्धान्त हमें सिखाये गये थे।

तो मैं कह रहा था कि हम अपने ज्ञान को भुलाते चले जा रहे हैं। आज बच्चों को पहाड़ा याद नहीं रहता क्योंकि वे केलकुलेटर का प्रयोग करने लग गये हैं। आज यदि किसी से यह प्रश्न कर दिया जाये कि बिना केलकुलेटर का प्रयोग किये बताइये कि 123456789072 में किन किन अंकों का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा और किनका नहीं तो यह एक बहुत कठिन प्रश्न हो जायेगा। इसी पोस्ट में मैं बताउँगा कि इस प्रश्न का उत्तर बहुत ही सरलता के साथ दिया जा सकता है।

केलकुलेटर का प्रयोग करना अवश्य ही अच्छी बात है किन्तु पहाड़ा याद न करने को तो अच्छी बात नहीं कहा जा सकता। कभी-कभी हमें ज्ञान को याद रखने के लिये ही गणित के जोड़, घटाना, गुणा और भाग जैसे कुछ सरल प्रश्नों को बिना केलकुलेटर की सहायता के हल करना चाहिये। विद्याधन ऐसी सम्पत्ति है जिसे न खर्चने पर वह घट जाता है और खर्चने पर बढ़ते जाता है, कहा भी गया हैः

सरस्वती के भण्डार की बड़ी अपूरब बात।
ज्यों खरचे त्यों त्यों बढ़े बिन खरचे घट जात॥

मुझे याद है कि आज से मात्र 35-40 साल पहले ही हमारे बैंक में हमारे लिये केलकुलेटर उपलब्ध नहीं था और हमें 30 से 40 संख्याओं को जोड़ना पड़ता था। क्लर्क के किये गये इस प्रकार के गणितीय कार्य की अधिकारी जाँच किया करते थे। मेरे किये गये जोड़ में किसी प्रकार की गलती न मिल पाये इसके लिये मैं जोड़ने के बाद उसे फिर से जोड़ कर खुद ही जाँच लेता था, और जाँचते समय संख्याओं को उलटी ओर से जोड़ता था याने कि पहली बार ऊपर से नीचे की ओर जोड़ता था और जाँचते वक्त उन्हीं संख्याओं को नीचे से ऊपर की ओर जोड़ता था। ऐसा करने का एक फायदा यह था कि यदि मैंने पहली बार गलती से बारह और पाँच सत्रह के स्थान पर अठारह या सोलह जोड़ दिया हो तो उलटी ओर से जोड़ने से उस गलती के दुहराने का अवसर ही नहीं रह पाता था।

अब आते हैं हम उस प्रश्न पर जिसका उल्लेख ऊपर आया है। हमें पता लगाना है कि 123456789072 में किन किन अंकों का पूरा-पूरा भाग जा सकता है।

इसके लिये निम्न नियमों को देखें

यदि किसी संख्या का आखरी अंक सम अर्थात् 0, 2, 4, 6 या 8 है तो उस पूरी संख्या में 2 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। चूँकि 123456789072 का अंतिम अंक याने कि 2 सम है इसलिये इस संख्या में 2 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

यदि किसी संख्या के सभी अंको के योग में 3 का पूरा-पूरा भा चला जाता है तो उस पूरी संख्या में भी 3 का भाग पूरा-पूरा चला जायेगा। संख्या 123456789072 के अंकों के योग (1 + 2 + 3 + 4 + 5 + 6 + 7 + 8 + 9 + 0 + 7 + 2 =) 54 या (5 + 4 =) 9 में 3 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है अतः इसमें 3 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

यदि किसी संख्या के अन्तिम दो अंकों से बनी संख्या में 4 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है तो उस पूरी संख्या में भी 4 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। संख्या 123456789072 के अंतिम दो अंको वाली संख्या 72 में 4 का पूरा-पूरा चला जाता है अतः 123456789072 में भी 4 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

यदि किसी संख्या का आखरी अंक 0 या 5 है तो उस पूरी संख्या में 5 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। चूँकि 123456789072 का अंतिम अंक 2 है इसलिये इस संख्या में 5 का पूरा-पूरा भाग नहीं जायेगा।

यदि किसी संख्या में 2 और 3 दोनों का ही पूरा-पूरा भाग चला जाता है तो उस संख्या में का 6 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। ऊपर हम देख चुके हैं कि संख्या 123456789072 में 2 और 3 दोनों का ही पूरा पूरा भाग चला जाता है अतः 6 का भी पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

सात के लिये कोई नियम नहीं है।

यदि किसी संख्या के अन्तिम तीन अंकों से बनी संख्या में 8 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है तो उस पूरी संख्या में भी 8 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। संख्या 123456789072 के अंतिम तीन अंको वाली संख्या 072 में 8 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है अतः 123456789072 में भी 8 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

यदि किसी संख्या के सभी अंको के योग में 9 का पूरा-पूरा भा चला जाता है तो उस पूरी संख्या में 3 का भाग पूरा-पूरा चला जायेगा। संख्या 123456789072 के अंकों के योग (1 + 2 + 3 + 4 + 5 + 6 + 7 + 8 + 9 + 0 + 7 + 2 =) 54 या (5 + 4 =) 9 में 9 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है अतः पूरी संख्या में भी 9 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।


चलते-चलते

1 रु. = 100 पैसा
या 1 रु. = 10 पैसा × 10 पैसा (10 पैसा = 1/10 रु. याने कि रुपये का दसवाँ भाग)
या 1 रु. = 1/10 रु. × 1/10 रु.
या 1 रु. = 1/100 रु. (1/10 रु. = 1 पैसा याने कि रुपये का सौंवा भाग)
या 1 रु. = 1 पैसा

इस प्रकार से सिद्ध होता है कि एक रुपया बराबर एक पैसा होता है।

वैसे इसमें एक गलती है क्योंकि एक रुपया बराबर एक पैसा हो ही नहीं सकता। यदि आप गलती पकड़ लें तो अपनी टिप्पणी में अन्य लोगों को भी बता दें।

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राम-सुग्रीव मैत्री - - किष्किन्धाकाण्ड (2)

Tuesday, November 17, 2009

लड़की भगाकर अर्थात् हरण करके उससे विवाह करने का चलन पौराणिक काल से चला आ रहा है

मेरे मित्र के साले महोदय अपने पड़ोस की कन्या को लेकर भाग गये। यह लगभग डेढ़ साल पहले की बात है। मित्र के ससुराल वाले मेरे मित्र को बहुत मानते हैं इसलिये इस मामले में क्या करना है इस बात का निश्चय उन्हें ही करना था। उन्होंने सारा किस्सा मुझे बताया और इस मामले में मेरी सलाह माँगी। उन्होंने बताया कि तीन दिनों तक छिपे रहने के बाद उनके साले ने अपने घर से सम्पर्क स्थापित कर बता दिया है कि वह कहाँ है। अन्तर्जातीय मामला है। लड़की वाले धनी और सम्पन्न हैं और बुरी तरह से बिफड़े हुए भी हैं किन्तु बहुत खोज करवाने के बाद भी उन्हें अपनी लड़की और मित्र के साले का पता नहीं चल सका है। अब इस मामले में क्या करना चाहिये।

मैंने कहा कि भाई यदि लड़का और लड़की सचमुच शादी करना चाहते हैं तो उनकी शादी कर ही देनी चाहिये। इस मामले में जाति-पाँति देखना बेकार है। मेरे कहने से मित्र के ससुराल वाले उनकी शादी करवाने के लिये तैयार हो गये। पूरी सावधानी बरतते हुए आर्यसमाज में उन दोनों का विवाह करा दिया गया और लड़की वालों को भनक भी नहीं लगी। शादी हो जाने पर लड़की वाले भड़के तो बहुत किन्तु कुछ भी नहीं कर पाये और आज वह दम्पति सुखी गृहस्थ जीवन बिता रहा है।

यह तो हुआ किस्सा। किन्तु इस प्रकार से विवाह करने का चलन हमारे यहाँ पौराणिक काल से चला आ रहा है। कृष्ण और विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणी एक दूसरे पर आसक्त थे। रुक्मणी का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ करना तय हो गया तो कृष्ण रुक्मणी को हर लाये अर्थात् भगा लाये और उससे विवाह कर लिया।

इसी प्रकार अर्जुन और कृष्ण की बहन सुभद्रा एक दूसरे से प्रेम करते थे किन्तु सुभद्रा के बड़े भाई बलराम नहीं चाहते थे कि उनका विवाह हो। कृष्ण की सलाह के अनुसार ही अर्जुन सुभद्रा को भगा लाये याने कि हर लाये और विवाह किया।

वत्स राज्य के पुरुवंशीय राजा उदयन भी अवन्ति राज्य की राजकुमारी वासवदत्ता को हर लाये थे और उनसे विवाह किया था, संस्कृत के महाकवि भास ने तो उदयन और वासवदत्ता की प्रेमकथा पर "स्वप्नवासवदत्ता", "प्रतिज्ञायौगन्धरायण" जैसे नाट्यों की रचना कर डालीं। पृथ्वीराज के द्वारा संयोगिता को भगा कर विवाह करने के विषय में आप तो सभी जानते ही हैं।

इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट है कि लड़की भगाकर उससे शादी करने का चलन पौराणिक काल से चला आ रहा है।


चलते-चलते

विवाह के बाद विदा होते समय वर अत्यन्त खुश रहता है और कन्या खूब रोती है।

और एक बार विदा हो जाने के बाद कन्या जीवन भर खुश होती है और वर जीवन भर रोता है।

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पम्पासर में राम हनुमान भेंट - किष्किन्धाकाण्ड (1)

Monday, November 16, 2009

होशियारी दिखाने के चक्कर में हम अपना ही कबाड़ा कर जाते हैं

हम में से अधिकतर लोग प्रायः खुद को होशियार समझते हैं पर कभी-कभी हमारी होशियारी ही हमारा कबाड़ा कर देती है। इसी से सम्बन्धित आपको अपना एक संस्मरण सुनाता हूँ।

हमारे बैंक के प्रशिक्षण केन्द्र में व्यवहार विज्ञान (behavioral science) का सेशन था।

प्रशिक्षक ने आते ही कहा कि देखिये जब कभी भी हमें कुछ आदेश दिया जाता है तो हमें दिये गये आदेश के अनुसार ही काम करना चाहिये न कि अपने हिसाब से। आप लोग क्या आदेश के अनुसार ही काम करते हैं?

हम सभी प्रशिक्षार्थियों का उत्तर था 'जी हाँ'।

इसके पश्चात् प्रशिक्षक महोदय हमें 'टीमवर्क' (teamwork) और 'लीडरशिप' (leadership) के विषय में बताने लगे। जब सेशन समाप्त होने में पन्द्रह-बीस मिनट शेष रह गये तो उन्होंने कहा कि अब हम आप लोगों का व्यवहार विज्ञान से सम्बन्धित एक टेस्ट लेंगे। आपको एक पर्चा दिया जा रहा है और उसमें जैसा लिखा है आपको वैसा ही करना है।

इतना कह कर उन्होंने हम सभी को एक-एक परचा दे दिया गया। परचे में लिखा था -

आपको निम्न लिखित कार्य करने हैं:

1. नीचे दिये गये पैराग्राफ को पढ़ें।

2. पैराग्राफ को पढ़ने के पश्चात् उसके नीचे दिये गये साठ प्रश्नों को पढ़ें।

3. सारे प्रश्नों को पढ़ लेने के बाद उन प्रश्नों का, जो कि उसी पैरा से सम्बन्धित हैं, इस परचे के साथ दिये गये उत्तर पुस्तिका में उत्तर दें।

4. अधिक से अधिक अंक प्राप्त करना अपेक्षित है।

5. आपको ये कार्य तीन मिनट में करने हैं।

मैंने पैराग्राफ को ध्यान से पढ़ा। पैरा पढ़ने में दो मिनट व्यतीत हो गये। फिर मैंने पहले प्रश्न को पढ़ा। बहुत ही सरल प्रश्न था, बिल्कुल पहली क्लास के बच्चों से किया जाने वाला प्रश्न जैसा, जिसका आसानी के साथ उत्तर दिया जा सकता था। अधिक से अधिक अंक पाने थे और मेरे पास एक मिनट से भी कम समय बचा था इसलिये मैंने तत्काल प्रश्न का उत्तर लिख दिया। फिर दूसरा, तीसरा, चौथा उत्तर लिखते चला गया। मैंने चौबीसवें प्रश्न का उत्तर लिखा ही था कि तीन मिनट पूरे होने की घंटी बज गई और उत्तर पुस्तिका वापस देना पड़ा।

मैं बहुत खुश हो रहा था कि क्योंकि अन्य लोगों से मैं अधिक तेज हूँ इसलिये मैंने चौबीस प्रश्नों के उत्तर दे दिये हैं। बाकी लोग तो मुश्किल से पन्द्रह-सोलह प्रश्नों के उत्तर दे पाये होंगे। सबसे अधिक अंक मुझे ही मिलना है।

प्रशिक्षक महोदय ने सरसरी रूप से हम सभी के परचों को दो-तीन मिनट में ही देख लिया और घोषणा कर दी कि आप लोगों में से किसी को भी एक भी अंक नहीं मिला है, सबके अंक जीरो हैं।

हम सभी आश्चर्य में आ गये। ऐसा कैसे हो सकता है?

हमें आश्चर्यचकित देख कर प्रशिक्षक महोदय मुस्कुरा कर बोले, "आप लोगों को एक भी अंक इसलिये नहीं मिल पाया क्योंकि आप में से किसी ने भी पैराग्राफ को पढ़ने के बाद पूरे प्रश्नों को नहीं पढ़ा जबकि परचे में साफ लिखा था कि पहले सभी प्रश्नों को पढ़ें फिर उसके बाद ही उत्तर देना शुरू करें। बताइये किसी ने भी पूरे प्रश्नों को पढ़ा था क्या?"

हम लोगों को मानना पड़ा कि किसी ने भी पूरे प्रश्नों को नही पढ़ा था।

प्रशिक्षक महोदय बोले, "परचा अभी भी आप लोगों के ही पास है, अब पढ़ लीजिये।"

जब मैंने पढ़ा तो उनसठवें प्रश्न के नीचे लिखा था "उपरोक्त सारे प्रश्न निरस्त किये जा रहे हैं, आप को सिर्फ अन्तिम प्रश्न का उत्तर देना है"

जाहिर है कि अन्तिम प्रश्न का उत्तर हममें से किसी ने भी नहीं दिया था इसलिये हमें एक भी अंक नहीं मिले।


चलते-चलते

प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षक महोदय एडजस्टमेंट एंट्री के विषय में बता रहे थे। विषय को समझाने के बाद उन्होंने पूछा किस सब लोग समझ गये ना? और सभी लोगों ने कह दिया कि हाँ समझ गये।

इस पर प्रशिक्षक महोदय ने पूछा, "रुपीज फिफ्टी थाउजेंड डिपॉजिटेड बाय मि. युसुफ इज़ इरोन्यूअसली क्रेडिटेड इनटू द अकाउन्ट ऑफ मि. इस्माइल, देन व्हाट विल बी?"

एक प्रशिक्षार्थी ने जवाब दिया, "इस्माइल विल इस्माइल सर!!!"

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शबरी का आश्रम - अरण्यकाण्ड (18)

Sunday, November 15, 2009

खब्त-खोपड़ी-खाविन्द हूँ तेरा, जीवन भर तुझको झेला हूँ

हे आर्यावर्त की आधुनिक आर्या!
हे विकराले! हे कटुभाषिणी!
हे देवि! हे भार्या!

पाणिग्रहण किया था तुझसे
सोच के कि तू कितनी सुन्दर है,
पता नहीं था
मेरी बीबी मेरी खातिर
"साँप के मुँह में छुछूंदर है"

निगल नहीं पाता हूँ तुझको
और उगलना मुश्किल है
समझा था जिसको कोमलहृदया
अब जाना वो संगदिल है

खब्त-खोपड़ी-खाविन्द हूँ तेरा
जीवन भर तुझको झेला हूँ
"पत्नी को परमेश्वर मानो"
जैसी दीक्षा देने वाले गुरु का
सही अर्थ में चेला हूँ

बैरी है तू मेरे ब्लोगिंग की
क्यूँ करती मेरे पोस्ट-लेखन पर आघात है?
मेरे ब्लोगिंग-बगिया के लता-पुष्प पर
करती क्यों तुषारापात है?

हे विकराले! हे कटुभाषिणी!
हे देवि! हे भार्या!

बस एक पोस्ट लिखने दे मुझको
और प्रकाशित करने दे
खाली-खाली हृदय को मेरे
उल्लास-उमंग से भरने दे
तेरे इस उपकार के बदले
मैं तेरा गुण गाउँगा
स्तुति करूँगा मैं तेरी
और तेरे चरणों में
नतमस्तक हो जाउँगा।

चलते-चलते

रात भर ड्यूटी करने बाद थका हारा पुलिसवाला पति घर आकर सो गया। अभी झपकी भी नहीं लगी थी कि उसकी पत्नी ने उसके जेब से सौ की पत्ती मार दिया। पर पुलिसवाला आखिर पुलिसवाला था तत्काल उसने चोरी पकड़ ली।

बीबी से बोला, "मैं तुम्हारा पति बाद में हूँ, पुलिसवाला पहले हूँ। जल्दी से निकाल दो चोरी का माल।"

बीबी बोली, "अजी, छोड़िये भी, चोरी के माल में से आधा आप रख लीजिये और मामला निबटाइये।"

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कबन्ध का वध - अरण्यकाण्ड (17)