Wednesday, November 9, 2011

समझ में नहीं आता कि भारत की जनता अब अपने आप को समझदार क्यों समझने लगी है?

अभी-अभी आनलाइन दैनिक भास्कर में एक समाचार समाचार पढ़ा - "वाह रे ''सरकार'', सोनिया के विदेश दौरों की ही जानकारी नहीं!" अब बताइये भला, सरकार के लिए सोनिया गांधी के विदेश यात्राओं की जानकारी रखना जरूरी है क्या? सरकार तो सरकार ठहरी, पूरे देश की मालिक! यह तो उसकी मर्जी है कि किसके विदेश यात्रा का हिसाब रखे और किसके न रखे! जनता की बुद्धि पर तरस आता है जो यह सोचती है कि विदेश यात्रा में आखिर खर्च तो होता है और खर्च का हिसाब रखा जाना चाहिए क्योंकि पैसा तो जनता का है! जनता को जानना चाहिए कि एक बार उसने टैक्स के रूप में सरकार को पैसे दे दिए तो वह पैसा सरकार का हो गया। सरकार को दे देने के बाद उस पैसे पर जनता का हक रहा ही कहाँ? टैक्स पटा देने के बाद उसकी औकात रह जाती है क्या हिसाब पूछने की? चाहे वह पैसा यू.पी.ए. अध्यक्ष के विदेश यात्राओं में खर्च हो या फिर घोटालों के के द्वारा काले धन में परिणित होकर विदेशी बैंकों में जमा हो जाए, जनता को क्या करना है उससे? समझ में नहीं आता कि भारत की जनता अब अपने आप को समझदार क्यों समझने लगी है?

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